इतना तो करना स्वामी - સંગીત સાથે

इतना तो करना स्वामी, जब प्राण तन से निकले, 
गोविंद नाम लेकर, फिर प्राण तन से निकले ।
 
श्री गंगाजी का तट हो, या यमुनाजी का बट हो,
मेरा सांवरा निकट हो... जब प्राण...
 
श्री वृंदावन का स्थल हो, मेरे मुख में तुलसी दल हो,
विष्णु चरण का जल हो... जब प्राण...
 
सम्मुख सांवरा खड़ा हो, बंसी का स्वर भरा हो,
तीरच्छा चरण धरा हो... जब प्राण...
 
शिर सोहना मुकुट हो, मुखड़े पै काली लट हो,
यही ध्यान मेरे घट हो... जब प्राण...
 
जब कंठ प्राण आये, कोई रोग ना सताये,
यम दर्शन ना दिखाये... जब प्राण...
 
मेरा प्राण निकले सुख से, तेरा नाम निकले मुख से,
बच जाऊं घोर दुःख से... बज प्राण...
 
उस वक्त जल्दी आना, नहीं श्याम भूल जाना,
बंसी की धून सुनाना... जब प्राण...
 
यहाँ नेक सी अरज है, मानो तो क्या हरज है,
कुछ आपकी फर्ज है... जब प्राण...
 
एक भक्त की है अर्जी, खुद गर्ज़ की है गर्ज़ी,
आगे तुम्हारी मर्जी... जब प्राण...